बहुत से लोग सोचते हैं कि जीवन का मूल पृथ्वी में नहीं, बल्कि बाहर अंतरिक्ष में ही होगा। लेकिन वे अंतरिक्ष में भी जीवन का मूल नहीं ढूंढ़ सके।
तो फिर हमें जीवन के मूल को कहां खोजना चाहिए? आइए हम इसके बारे में विज्ञान और बाइबल के द्वारा विस्तार से देखें।
लोग बाइबल से ज्यादा विज्ञान पर विश्वास करते हैं
आज संसार के लोग बाइबल से ज्यादा विज्ञान पर विश्वास करते हैं। विज्ञान के माध्यम से जीवन के पैदा होने की प्रक्रियाओं के बारे में हमारी समझ बढ़ गई है। लेकिन हम जितना अधिक विज्ञान समझने लगे, हमारे भीतर उतना ही कुतूहल होने लगा। जीवन का मूल क्या है? जीवन का मूल कहां है?
वास्तव में बहुत लोग आज सोचते हैं कि जीवन बाहर अंतरिक्ष से आया होगा। उनके ऐसा सोचने का एक कारण यह है कि हम इस पृथ्वी पर जीवन की सृष्टि करने के लिए सक्षम नहीं हैं। भले ही विभिन्न क्षेत्रों के लोगों ने किसी जीवन की सृष्टि करने की कोशिश की है, मगर वे नहीं कर सके। इसलिए वे सोचने लगे कि शायद जीवन का मूल बाहर अंतरिक्ष में कहीं न कहीं से शुरू हुआ होगा।
मिसाल के लिए, हर पेड़ का पत्ता हर रोज एक काम करता है जो हम मनुष्य नहीं कर सकते। वह वायु में कार्बन डाइऑक्साइड से अणुओं को लेता है। कार्बन डाइऑक्साइड एक बहुत ही स्थिर पदार्थ है, इसलिए कार्बन दो ऑक्सीजन के अणुओं से वंचित कभी नहीं होता। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में एक एंजाइम की उपस्थिति होती है जो लुबिस्को या लिबुलोस-1, 5-बाइफोस्फेट कार्बोज़ाइलेस ऑक्सीजनेइस कहलाता है।
कार्बन को जकड़ना सरल लगता है, लेकिन यह एक बहुत ही जटिल प्रक्रिया है। एंजाइम के बिना प्रकाश संश्लेषण नहीं हो सकता। हम मनुष्य कार्बन डाइऑक्साइड से कार्बन के अणु को अलग करके एक दूसरे जैविक अणु को नहीं बना सकते। हम कभी किसी भौतिक जीवन की आवश्यक प्रक्रिया की नकल नहीं कर सकते ।
क्या अंतरिक्ष में कुछ और जीवन का मूल होगा?
मनुष्य एक परम प्राणी है, लेकिन वह बिल्कुल एक तुच्छ प्राणी है जो कभी किसी एक चीज की भी सृष्टि नहीं कर सकता। फिर, वैज्ञानिक जो बाहर अंतरिक्ष में जीवन के मूल की तलाश कर रहे हैं, क्या उन्होंने वहां किसी बुद्धिमान जीव को ढूंढ़ लिया है? क्या अंतरिक्ष में कुछ और जीवन का मूल था? सब प्रयास करने पर भी उन्हें कुछ नहीं मिला है। क्योंकि जीवन का मूल वहां नहीं है।
हमें जीवन के सच्चे मूल को समझना चाहिए। यही परमेश्वर की इच्छा है।
बाइबल में दर्ज किए गए आश्चर्यजनक वैज्ञानिक तथ्य
पूरी बाइबल में वैज्ञानिक तथ्य हैं जिन्हें 20वीं सदी तक भी समझा नहीं गया था। परमेश्वर ने बाइबल में वैज्ञानिक तथ्यों को इसलिए लिखने दिया ताकि हमें यह एहसास हो सके कि बाइबल परमेश्वर का विश्वसनीय वचन है। बाइबल विज्ञान से आगे है और संपूर्ण है।
उदाहरण के लिए ईसापूर्व 950 में लिखी सभोपदेशक की पुस्तक के पहले अध्याय में ऐसा वचन लिखा है,
वायु दक्षिण की ओर बहती है, और उत्तर की ओर घूमती जाती है; वह घूमती और बहती रहती है, और अपनी परिधि में लौट आती है।
सभोपदेशक 1:6
यहां जेट प्रवाह के बारे में पूरी तरह वर्णन किया गया है। जेट प्रवाह का हमारे मौसम पर हर दिन गहरा प्रभाव होता है। लेकिन राजा सुलैमान के समय में क्या यह समझना संभव था कि जेट प्रवाह है? वास्तव में यह उस 20वीं सदी के अन्त में ही समझा जा सका जब हमारे पास उपग्रह था और हम आकाश में ऊंची उड़ान भर सकते थे।
अय्यूब की पुस्तक में भी लिखा है कि बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखा गया है।
… बिना टेक पृथ्वी को लटकाए रखता है।
अय्यूब 26:7
आज तो हर स्कूल का बच्चा भी सैटेलाइट की तस्वीर से इस तथ्य को जानता है। लोकिन 16 और 17वीं सदी में आइजैक न्यूटन के “गुरुत्वाकर्षण के सिद्धांत” को खोजने तक यह तथ्य समझा नहीं जा सकता था। उस समय पृथ्वी पर रहनेवाले लोग अंतरिक्ष के बारे में कुछ नहीं जानते थे।
जब लोग अंतरिक्ष के बारे में कुछ नहीं जानते थे, परमेश्वर पहले से ही यह तथ्य बता चुके थे और उन्होंने उसे बाइबल में लिख दिया था। अय्यूब के 26वें अध्याय में भी बड़े ताज्जुब की बात कही गई।
वह उत्तर दिशा को निराधार फैलाए रहता है…
अय्यूब 26:7
1981 में खगोलज्ञों ने कहा, “वास्तव में बिग बैंग सिद्धांत के अनुसार पृथ्वी की उत्तर दिशा में बहुत से तारे होने चाहिए। लेकिन हमें मालूम नहीं है कि वहां क्यों तारा नहीं है।” लेकिन परमेश्वर के द्वारा वह पहले से ही बाइबल में लिखा गया था। आइए हम अय्यूब के 28वें अध्याय को भी देखें।
यह भूमि जो है, इससे रोटी तो मिलती है, परन्तु उसके नीचे के स्थान मानो आग से उलट दिए जाते हैं।
अय्यूब 28:5
अय्यूब ने यात्रा करने के बाद यह नहीं लिखा था, “एक पहाड़ है जो हर 300 साल में राख और आग उगल रहा है।” उसने सारी पृथ्वी का ब्यौरा दिया, और आज हम विज्ञान के माध्यम से पता चला कि यह बिल्कुल सच है।
हम जीवन के मूल को कहां खोज सकते हैं?
बाइबल सत्य है और वैज्ञानिक है, और यह परमेश्वर का विश्वसनीय वचन है। बाइबल उस प्रश्न का जवाब देती है जो हम अंतरिक्ष में नहीं खोज सके। अब हमें जीवन के मूल को बाइबल के जरिए ढूंढ़ने की आवश्यकता है।
हमें बाइबल का अध्ययन करना चाहिए। अवश्य, हमें परमेश्वर से संवाद करने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। और हमें परमेश्वर की रचनाओं को देखना चाहिए।
जब हम पृथ्वी पर बनाई गई चीजों पर नजर डालें, तो ऐसी लाखों प्रजातियां हैं जिन सब को माताओं के द्वारा जीवन दिया जाता है। उन सब के माता के द्वारा ही जीवन पाने के पीछे परमेश्वर की क्या इच्छा है?
माता के प्रेम के बिना जीवन अर्थहीन है
विज्ञान, चिकित्सा, व्यवसाय, इतिहास और जीवन में ज्यादा ज्ञान प्राप्त करने के लिए मुझे आशीष दी गई है। मगर डिग्री, एक सीईओ होने के अनुभव, और सब वैज्ञानिक ज्ञानों ने जिनका मैं ने अनुभव किया है, कभी मुझे जीवन का सही अर्थ नहीं समझाया। बहुमूल्य उपहार जो मैंने प्राप्त किया है, वह स्वर्गीय माता के प्रेम को महसूस करना है। इस प्रेम के बिना जीवन अर्थहीन है।
जन्म देने के पल में एक स्त्री माता बनती है। और मां और बच्चे के बीच अदृश्य बंधन बनता है; यह बंधन किसी अन्य बंधन की तरह नहीं है। माता का प्रेम धीरजवन्तहै। माता का प्रेम कोमल और दयालु है। माता का प्रेम सिखाता है और प्रोत्साहित करता है। माता का प्रेम सीमाहीन है। माता का प्रेम बलिदान से भरा है। माता का प्रेम उस छोटे से चिन्ह से भी प्रसन्न रहता है जो दिखाता है कि उसका बच्चा उसका पालन कर रहा है।
माता सचमुच जीवन का मूल है
आत्मा का जीवन हमारे लिए मायने रखता है। हमारी स्वर्गीय माता जीवन का संदूक है और परम पवित्रस्थान हैं, और वह बुद्धि का मूल हैं और पूरे अंतरिक्ष में सबसे बड़ा प्रेम हैं।
एक बार मुझे यह सोचकर एक वैज्ञानिक होने पर गर्व था कि मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ सीखा है। लेकिन वास्तव में मैं पाप और मृत्यु की अंधकार की दुनिया में भटक गया था। माता जी, मैं फिर से एक बच्चा बन गया हूं। मैं माता का प्रिय और वफादार बेटा हूं। मुझे मेरे पिता मिल गए हैं। वह मेरे उद्धारकर्ता, मसीह आन सांग होंग हैं। मुझे अब पता है कि स्वर्गीय माता हैं। मैंने अब उनका प्रेम महसूस किया है। माता परिपूर्ण प्रेम हैं और पूरे अंतरिक्ष में सबसे बहुमूल्य खजाना हैं। वह सचमुच जीवन का मूल है। अब मैं स्वर्गीय माता की एक सन्तान कहलाने पर बहुत गर्व महसूस करता हूं।